आज की कहानी १ भक्त और भगवान की हे मंडल नाम का एक गाँव था। वहा गोविंद और गुणी नाम के १ दम्पति रेहते थे। वो भगवान श्री कृष्णा के बहोत बड़े भक्त थे संध्या के समय हर रोज़ गोविंद नदी के तट पर जाता और भगवान का ध्यान धरता। गोविंद की पत्नि स्वभाव में बिलकुल उसके जैसा था और उनकी पत्नी का नाम गुणी था। वो अपने पति को ही भगवान मान कर उनकी हर बात मानती और भगवान की सेवा पूजा में भी अपने पति की मदद करती उनसे मिल कर ऐसा लगता जानो कृष्णा भक्त मीरा और श्री राम पत्नी सीता दोनों के ही गुण बराबर मात्रा में थे।
गोविंद कुछ भी काम धंधा नहीं करता था उसने अपना पूरा जीवन भगवान के भरोसे ही छोड़ दिया था गुणी घर में ही भगवान के लिए खिलोने बनाती और बहोत ही कम किम्मत में दुसरो को दे देती। घर में पैसे की बचत करना असंभव जैसा था। गुणी हमेशा अपने पति से कहती की भगवान हर बार तो हमारी मदद कर ने नहीं आ सकते। पर गोविंद एक ही बात बोलता जब इतने साल तक भगवान ने मुझे कोई भी कस्ट नहीं दिया हे तो आगे भी नहीं देंगे तुम बस भगवान पर विश्वास करो।
एक दिन ऐसा आया जब गोविंद के घर में सब अनाज धन ख़तम होने को आया था ये बात गुणी ने गोविंद को बताई गोविंद ने कहा खतम थोड़ी हुवा हे ऐसा हो तो घर का कुछ सामान बेच कर हम राशन खरीद लेंगे इतनी विपत्ती भरी दुविधा में भी गोविंद ने भगवान पर भरोसा रखना नहीं छोड़ा और १ दिन ऐसा आया जब घर का सब सामान बिक गया अब घर में बेचने के लिए भी कुछ था। भगवान को गोविंद के घर की परिस्थिति देखी नहीं गयी। और भगवान ने १ रात को उसके घर के बहार १ धन से भरा खजाना रख दिया। दूसरे दिन घर के बहार खजाना देख के पत्नी बोली की हम इसे ले लेते हे भगवान ने ही ये हमको दिया हे पर गोविंद ने वो लेने से साफ इन्कार कर दिया।
दूसरे दिन गोविंद जिस नदी तट पर भगवान का ध्यान कर ने जाता था वहा भगवान ने धन का खजाना रख दिया फिर भी गोविंद ने वो लिया नहीं भगवान भी सोच में पड़ गये की गोविंद की आर्थिक सहाय कैसे करु तब उन्हों ने सोचा जब गोविंद संध्या वंदन करने जायेगा तब उसके घर जा कर उसकी पत्नी को ये खजाना दे दूंगा। दूसरे दिन जब गोविंद संध्या वंदन के लिए जा रहा था तब भगवान ने १ ब्राह्मण का रुप धारण कर करके गोविंद के घर गया और उनकी पत्नी से ये कहा की आपके पति ने भूतकाल में हमारी बहोत मदद की हे और तोफे के रूप में कुछ धन राशि हम आपको देना चाहते हे गोविंद की पत्नी ने साफ इन्कार कर दिया क्युकी गोविंद कभी भी वो धन का स्वीकार नहीं करता जो ब्राह्मण ने दिया हो बहोत समझाने के बाद भी गोविंद की पत्नी वो धन स्वीकार कर ने को राज़ी नहीं हुइ और आखिरकार भगवान ने गोविंद की पत्नी को क़सम दे दी की आपको आपके आपके भगवान की कसम हे ये धन आप ले लीजिये तब ना चाहते हुवे भी गोविंद की पत्नी को धन का स्वीकार करना पड़ा।
भगवान गोविंद के घर धन छोड़ कर चले गये गोविंद संध्या वंदन कर के घर पहोचा घर में इतना सारा धन देख के गोविंद ने उसकी पत्नी पर बहोत गुस्सा किया फिर गुणी ने सारी बाते गोविंद को बता दी की कैसे छल कर के १ ब्राह्मण ने हमारे यहां ये धन छोड़ दिया गुणी ने कहा मुझें उन ब्राह्मण से मिलकर ऐसा लग रहा था मानो साक्षात भगवान ही ब्राह्मण के रुप में ये धन हमे देने आये थे फिर भी गोविंद ने वो धन लेने से साफ साफ इन्कार कर दिया तब उसी रात भगवान श्री कृष्णा अपने वास्तविक अवतार में गोविंद के घर आये तब भगवान ने गोविंद पर बहोत गुस्सा किया और कहा हे मुर्ख मेने कितनी बार तेरी सहाय की पर हर बार तूने अपनी ही चलायी इतनी गुणी पत्नी दी मेने तुझे और तुने उसी पे गुस्सा किया गोविंद ने कहा हे प्रभु आप शान्त हो कर पहले मेरी बात तो सुनिए तब गोविंद ने कहा की हे प्रभु में जनता था की हर बार आप ही मेरी सहायता कर रहे थे और में ये भी जानता हु की ब्राह्मण के रुप में भी आप ही थे पर आप कभी भी अपने वास्तविक रुप ने अपने दर्शन नहीं दिए इस लिए आपके वास्तविक रुप के दर्शन के लिए मेने ये तरीक़ा अपनाया गोविंद की ये चतुराई देख के भगवान अपना सारा गुस्सा भूल कर गोविंद पर अति प्रसनन हो गये और कहा की अगले जन्म में तुम हमारे सबसे बुद्धिमान गण में शामिल होंगे और तुम्हारी पत्नी भी तुम्हारे साथ ही रहेगी।
इस कहानी से हमें ये सिख मिलती हे की परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो पर हमें भगवान पर भरोसा रखना चाहिये।
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