एक बार की कहानी हे कंडल नाम के शहर में विजय नाम का एक आदमी रहता था। वो अकेला ही रहता था उसके परिवार या सगा सबंधीयो में कोई नहीं था। विजय ने कभी शादी भी नहीं की क्युकी उसे अब अकेले रह ने की ही आदत हो गयी थी। बचपन से ही उसे न माता पिता का प्यार मिला न भाई बहन का
एक दिन जब वो कुछ सब्जी लेने के लिए बहार जाता हे सब्जी लेकर घर ही जा रहा था और रास्ते में एक कार से उसको टक्कर लग जाती हे और वो बहोत दूर जाके पड़ता हे। वो सड़क पर खून से लत पत्त पड़ा रहा पर बहोत समय तक उसे कोई बचाने नहीं आया। सब लोग ने बस भीड़ जमा कर के रखी थी कोई फ़ोन में वीडियो उतार रहा था तो कोई खड़े खड़े तमाशा देख रहे थे। सब विजय को गेहर के खड़े हो गये। और तभी वहा प्रिया नाम की एक लड़की विजय को मदद करने के लिए आगे आती हे। उसने तुरंत एम्बुलेंस को फ़ोन किया। एम्बुलेंस को आयी की तुंरत ही विजय के साथ एम्बुलेंस में बैठ गयी विजय के शरीर में से काफी खून बह रहा था। इस लिए प्रिया ने अपने दुपट्टा का थोड़ा कटका फाड़ के विजय का खून रोक ने का प्रयास कर रही थी। पर विजय का खून रुक ही नहीं रहा था, विजय अभी भी बेहोश नहीं हुवा था वो देख रहा था की कैसे एक लड़की उसकी देखभाल कर रही हे कैसे उसका खून रोक ने का प्रयास कर रही हे। विजय को प्रिया के इस स्वभाव पे प्यार आ जाता हे। धीरे धीरे विजय अपना होश खोने लगा प्रिय बोली आँखे बांध मत करना बस अभी थोड़ी देर में अस्पताल आने ही वाला हे। अस्पताल में पोहचते ही डॉक्टर ने कहा इसका बहोत खून बह चूका हे हम इसे बचा नहीं सकते और इतनी जल्दी खून का इंतज़ाम करना भी हमारे लिए भी नामुमकिन हे प्रिय ने कहा आप मेरा खून ले लीजिये डॉक्टर ने कहा तुम्हारे थोड़े से खून से कुछ नहीं होगा प्रिय बोली ठीक हे आप को जितना खून चाहिए उतना ले लीजिये आप सिर्फ इनको बचाने का प्रयास तो कीजिये।
डॉकटर ने प्रिया का खून ले लिया और विजय का ऑपरेशन की शरुवात की विजय का ऑपरेशन पुरे ६ घंटे तक चला तब तक प्रिया अस्पताल में ही रही। ६ घंटे ऑपरेशन के बाद भी डॉक्टर को नाकामयाबी ही हाथ लगी। बाद में प्रिया दुखी होक घर चली जाती हे। और बहोत दिन तक वो विजय के मोत के सघमे से बहार भी आ नहीं रही थी। रात को नींद भी नहीं आती थी सोने की कोशिश करती की तुंरत ही विजय का चेहरा उसके सामने आ जाता उसकी तबियत भी दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी प्रिया की मन में सिर्फ एक ही बात थी और वो उसे ही २४ घंटे तक सोचती रहती की काश में विजय को बचा पाती विजय की मोत का दोषी वो खुद को समज ने लगी क्युकी उसने अस्पताल ले जाने में देर कर दी।
एक दिन रात को जब वो सोने का प्रयास कर रही थी तब उसे किचन से कुछ आवाज़ आती हे। और देखती हे की विजय उसके सामने ही खड़ा था प्रिया कुछ समज ने की कोशिश करती उसके पहले विजय ने कह दिया की तुम मुझसे डरो नहीं में तुम्हे कोई नुकसान पोहचाने नहीं आया हां में भूत हूँ पर अच्छा वाला में बस तुम्हारी एक गलत फॅमिली दूर करने यहाँ आया हु प्रिय ने पूछा कोनसे गलत फॅमिली और तुंरत प्रिय बोलती हे में तुम्हे बचाना चाहती थी और बचा भी सकती थी मेरी वजह से ही तुम्हारी मोत हुइ हे। तभी विजय बोलता हे मेरी मोत सिर्फ एक अकस्मात थी और कुछ भी नहीं तुमने मेरे लिए इतना किया वो ही बहोत था मेरे लिए। बचपन से में अकेला रहता था इस लिए कभी भी मेरी कोई देखभाल करने के लिए मुझे कोई मिला ही नहीं और प्यार कर ने के लिए भी कोई नहीं मिला और उसका मतलब भी नहीं पता था लेकिन जब तुमने अपने दुपट्टे से मेरा खून रोक ने का प्रयास किया, असप्ताल में ६ घंटे तक रही, मुज़्हे खून दिया हम दोनों के बिच में कोई रिश्ता नहीं था फिर भी तुमने मेरे लिए इतना सब कुछ किया। सच में एक लड़की करुणा और प्रेम का सागर होती हे उसमे बहोत सारी भावनाये होती हे हकीकत में प्यार किसे कहते हे उसका मतलब उस दिन तुमने मुझे सिखाया हे पर दुःख की बात ये हे की वही मेरे जीवन का आखरी दिन भी था विजय ने बोलै इस पुरे दुनिया में मुझसे बदनसीब इंसान कोई नहीं होगा जिसे पूरी ज़िन्दगी किसी ने प्यार का मतलब नहीं समझाया और जब जीने का आखरी दिन था तब प्यार की अहिमयत पता चली। और तुमने तो मुझे बचाने का पूरा प्रयत्न भी किया था। तुम्हारा कोई भी दोष नहीं था यही बात बताने में यहाँ आया हु। जो नियति चाहती हे वही होता हे तुमने एक दिन में मेरे लिए इतना सब कुछ कर लिया हे की ऐसा लगता हे की सारी जिंदगी जो प्यार नहीं मिला वो एक ही बार में मिल गया। सच में तुम चेहरे के साथ दिल खूबसूरत हो।
विजय ने कहा मुझे मेरी मोत का दुःख नहीं हे एक दिन तो सब की मृत्यु होती हे मुझे दुःख इस बात का हे की में तुम्हारे साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाया दुःख इस बात का हे की तुम मुझे मेरे जीवन के आखरी पल में मिली काश तुमसे कुछ साल पहले मिला होता पर अब तो ऐसा हो नहीं सकता अब मुझे जाना पड़ेगा प्रिया ने कहा अगले जन्म में हम वापस मिलेंगे और इस बार ज़्यादा समय तक साथ भी रहेंगे। विजय ने कहा अब बोहत रात हो गयी हे तुम बहोत दिन से ऑफिस नहीं गयी हो अब जल्दी से सो जाओ में भी जाता हूँ प्रिया ने कहा अब ऑफिस में जाने का कोई फायदा नहीं हे उन्हों ने मुझे निकाल दिया हे इतने दिन तक में ऑफिस नहीं गयी थी इस लिये हमेंशा के लिये मुझे घर पे बिठा दिया हे। विजय ने कहा में सब कुछ जानता हु यहाँ आने से पहले में तुम्हारे बॉस के घर पे ही गया था उनको ये सारी हकीकत बताई और अब तुम फिर से ऑफिस जा सकती हो।
डॉकटर ने प्रिया का खून ले लिया और विजय का ऑपरेशन की शरुवात की विजय का ऑपरेशन पुरे ६ घंटे तक चला तब तक प्रिया अस्पताल में ही रही। ६ घंटे ऑपरेशन के बाद भी डॉक्टर को नाकामयाबी ही हाथ लगी। बाद में प्रिया दुखी होक घर चली जाती हे। और बहोत दिन तक वो विजय के मोत के सघमे से बहार भी आ नहीं रही थी। रात को नींद भी नहीं आती थी सोने की कोशिश करती की तुंरत ही विजय का चेहरा उसके सामने आ जाता उसकी तबियत भी दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी प्रिया की मन में सिर्फ एक ही बात थी और वो उसे ही २४ घंटे तक सोचती रहती की काश में विजय को बचा पाती विजय की मोत का दोषी वो खुद को समज ने लगी क्युकी उसने अस्पताल ले जाने में देर कर दी।
एक दिन रात को जब वो सोने का प्रयास कर रही थी तब उसे किचन से कुछ आवाज़ आती हे। और देखती हे की विजय उसके सामने ही खड़ा था प्रिया कुछ समज ने की कोशिश करती उसके पहले विजय ने कह दिया की तुम मुझसे डरो नहीं में तुम्हे कोई नुकसान पोहचाने नहीं आया हां में भूत हूँ पर अच्छा वाला में बस तुम्हारी एक गलत फॅमिली दूर करने यहाँ आया हु प्रिय ने पूछा कोनसे गलत फॅमिली और तुंरत प्रिय बोलती हे में तुम्हे बचाना चाहती थी और बचा भी सकती थी मेरी वजह से ही तुम्हारी मोत हुइ हे। तभी विजय बोलता हे मेरी मोत सिर्फ एक अकस्मात थी और कुछ भी नहीं तुमने मेरे लिए इतना किया वो ही बहोत था मेरे लिए। बचपन से में अकेला रहता था इस लिए कभी भी मेरी कोई देखभाल करने के लिए मुझे कोई मिला ही नहीं और प्यार कर ने के लिए भी कोई नहीं मिला और उसका मतलब भी नहीं पता था लेकिन जब तुमने अपने दुपट्टे से मेरा खून रोक ने का प्रयास किया, असप्ताल में ६ घंटे तक रही, मुज़्हे खून दिया हम दोनों के बिच में कोई रिश्ता नहीं था फिर भी तुमने मेरे लिए इतना सब कुछ किया। सच में एक लड़की करुणा और प्रेम का सागर होती हे उसमे बहोत सारी भावनाये होती हे हकीकत में प्यार किसे कहते हे उसका मतलब उस दिन तुमने मुझे सिखाया हे पर दुःख की बात ये हे की वही मेरे जीवन का आखरी दिन भी था विजय ने बोलै इस पुरे दुनिया में मुझसे बदनसीब इंसान कोई नहीं होगा जिसे पूरी ज़िन्दगी किसी ने प्यार का मतलब नहीं समझाया और जब जीने का आखरी दिन था तब प्यार की अहिमयत पता चली। और तुमने तो मुझे बचाने का पूरा प्रयत्न भी किया था। तुम्हारा कोई भी दोष नहीं था यही बात बताने में यहाँ आया हु। जो नियति चाहती हे वही होता हे तुमने एक दिन में मेरे लिए इतना सब कुछ कर लिया हे की ऐसा लगता हे की सारी जिंदगी जो प्यार नहीं मिला वो एक ही बार में मिल गया। सच में तुम चेहरे के साथ दिल खूबसूरत हो।
विजय ने कहा मुझे मेरी मोत का दुःख नहीं हे एक दिन तो सब की मृत्यु होती हे मुझे दुःख इस बात का हे की में तुम्हारे साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाया दुःख इस बात का हे की तुम मुझे मेरे जीवन के आखरी पल में मिली काश तुमसे कुछ साल पहले मिला होता पर अब तो ऐसा हो नहीं सकता अब मुझे जाना पड़ेगा प्रिया ने कहा अगले जन्म में हम वापस मिलेंगे और इस बार ज़्यादा समय तक साथ भी रहेंगे। विजय ने कहा अब बोहत रात हो गयी हे तुम बहोत दिन से ऑफिस नहीं गयी हो अब जल्दी से सो जाओ में भी जाता हूँ प्रिया ने कहा अब ऑफिस में जाने का कोई फायदा नहीं हे उन्हों ने मुझे निकाल दिया हे इतने दिन तक में ऑफिस नहीं गयी थी इस लिये हमेंशा के लिये मुझे घर पे बिठा दिया हे। विजय ने कहा में सब कुछ जानता हु यहाँ आने से पहले में तुम्हारे बॉस के घर पे ही गया था उनको ये सारी हकीकत बताई और अब तुम फिर से ऑफिस जा सकती हो।
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