सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

bhagwan ke bhakt ki kahani -भगवान के भक्त की कहानी

             एक बार की कहानी हे जिमर नाम का भगवान का एक बहोत बड़ा भक्त था। उसने अपना पूरा जीवन भगवान की सेवा पूजा में ही बिताया पहले वो भगवान को भोग चढ़ाता बाद में उनके भोग में जो सामग्री होती उसे ही खाता। कोई भी स्वार्थ के बिना वो भगवान की सेवा करता रहा पर उसके जीवन में हमेशा कोई ना कोई समस्या आती रहती थी। भगवान का इतना बड़ा भक्त होने के बावजूद उसके साथ जीवन में कुछ अच्छा नहीं हो रहा था। 


bhagwan ke bhakt ki kahani


           बचपन में ही जिमर के माता पिता की अकारण मृत्यु हो जाती हे और उनका गाँव में कोई नहीं था जिस वजह से जिमर अकेला ही गाँव में रहता था वो गाँव में ही कुछ छोटा मोटा काम कर के जो पैसे मिलते उससे  अपने भगवान की सेवा पूजा करता। इस प्रकार ही उसका बचपन गुज़रा, गाँव में सब को पता था की जिमर के कोई भी रिश्तेदार नहीं हे और वो गाँव में अकेला रहता हे इस लिए १ दिन लुटेरों ने जिमर के घर चोरी कर ने की सोची, एक दिन जिमर को कुछ काम के लिए थोड़े दिन गाँव से बहार जाना पड़ा और लुटेरों ने ये वक्त चोरी के लिए ठीक समजा और जिनर के घर चोरी कर ने के लिए चले गए चोरो ने जिनर के घर में पैसे की एक कोड़ी भी नहीं मिली जहा देखे वहा बस भगवान के सेवा पूजा के सामान ही दिखाई दे रहे थे लुटेरों को इतनी मेहनत के बाद भी चोरी कर ने के लिए कुछ नहीं मिला इस बात से वो बहोत क्रोध में आ गये और उन्हों ने जिनर का पूरा घर जला कर राख कर दिया और वहा से भाग गए। 

             दूसरे दिन जब जिनर गाँव में आके अपने घर को देखता हे तो उसे बहोत दुःख होता हे दुःख उसे इस बात का नहीं था की उसका घर जल गया दुःख उसे इस बात का था की भगवान की सारी सामग्री जल गयी और अब वे उनकी सेवा पूजा कैसे करेगा यही बात सोचते सोचते वो १ पैड के नीचे सो गया। भगवान जिनर की भक्ति और करुणा से बहोत खुश हो गये और वो स्वयं रात को जिनर के पास पैड के नीचे ही सो गये दूसरे दिन जब जिनर ने अपनी आँख खोली तो देखा की साक्षात् भगवान उसके पास बैठे थे, जिनर भगवान के पैर पे गिर गया और कहा मेरा जीवन धन्य हो गया प्रभु। 

              जिनर के मन में एक संदेह था और उसका निवारण भगवान स्वयंम करे ऐसा जिनर चाहता था, जिनर ने कहा हे प्रभु मेरे मन में सिर्फ १ ही संदेह हे की मेरे इस जीवन में मेने आपके अलावा और किसी से भी प्रेम नहीं किया और जो आपकी भक्ति करे उसको तो जीवन में कोई भी समस्या नहीं आती तो फिर मेरे इस जीवन में इतनी कठिनाई और मुश्केलि क्यों आयी तब भगवान ने कहा हे! मित्र जो विशेष होते हे उनकी परीक्षा भी विशेष ही होती हे, तुम मेरे सबसे प्रिय और विशेष भक्त हो इस लिए में हमेशा तुम्हारी कठोर से कठोर परीक्षा लेता रहा पर तुम ने ना मेरे अस्तित्व पर प्रश्न उठाया और ना मेरी भक्ति का मार्ग छोड़ा तुमने मेरी हर परीक्षा में उत्तम प्रदर्शन किया हे ! मित्र आज देवता भी तुम्हारी भक्ति के सामने हार गये हे, इस लिए अब में स्वयंम तुम्हे अपने साथ ले जाने आया हु वहा तुम्हे कोई भी कष्ट नहीं होगा। वहा तुम एक मित्र के जैसे जब भी चाहो तब तुम मुझसे मिलने आ सकते हो।


             इस कहानी से हमें ये सिख मिलती हे की जीवन में हमें कितनी भी समस्या क्यों न आ जाये पर हमें कभी भी भगवान के अस्तित्व पर प्रश्न नहीं उठाना चाहिए जिस प्रकार रात के बाद सुबह होती हे, उसी प्रकार दुःख के बाद ही जीवन में सुःख का प्रकाश होता हे। इस लिए जो भी हो रहा हे उसे भगवान की इच्छा समज कर ख़ुशी ख़ुशी दुःख को भी सुःख के जैसे ही जीना चाहिये। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

bhoot ko hua pyar - भूत को हुआ प्यार

       एक बार की कहानी हे कंडल नाम के शहर में विजय नाम का एक आदमी रहता था। वो अकेला ही रहता था उसके परिवार या सगा सबंधीयो में कोई नहीं था। विजय ने कभी शादी भी नहीं की क्युकी उसे अब अकेले रह ने की ही आदत हो गयी थी। बचपन से ही उसे न माता पिता का प्यार मिला न भाई बहन का           एक दिन जब वो कुछ सब्जी लेने के लिए बहार जाता हे सब्जी लेकर घर ही जा रहा था और रास्ते में एक कार से उसको टक्कर लग जाती हे और वो बहोत दूर जाके पड़ता हे। वो सड़क पर खून से लत पत्त पड़ा रहा पर बहोत समय तक उसे कोई बचाने नहीं आया। सब लोग ने बस भीड़ जमा कर के रखी थी कोई फ़ोन में वीडियो उतार रहा था तो कोई खड़े खड़े तमाशा देख रहे थे। सब विजय को गेहर के खड़े हो गये। और तभी वहा प्रिया नाम की एक लड़की विजय को मदद करने के लिए आगे आती हे। उसने तुरंत एम्बुलेंस को फ़ोन किया। एम्बुलेंस को आयी की तुंरत ही विजय के साथ एम्बुलेंस में बैठ गयी विजय के शरीर में से काफी खून बह रहा था। इस लिए प्रिया ने अपने दुपट्टा का थोड़ा कटका फाड़ के विजय का खून रोक ने का प्रयास कर रही थी। पर विजय का...

ek aisi ghatna jo sach bhi ho sakti hai -एक ऐसी घटना जो सच भी हो सकती हे !

          आज की ये स्टोरी आप को सोच ने पर मजबूर कर देगी की हकीकत में ऐसा सच में हो सकता हे या ये सिर्फ एक केवल कल्पना के आलावा और कुछ नहीं हे           ये कथा १ गोविंद नाम के लड़के की हे गोविंद को बचपन से हे ध्यान योग में बहोत रूचि थी जिस उम्र में बच्चे खेलते थे उस समय गोविंद स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस जैसे महान सिद्ध पुरुष के कहानिया पढता था और दूसरी और वो पढाई में भी बहोत अच्छा था गोविंद का पूरा बचपन महान पुरुषो के पुस्तक पढ़ कर ही बिता         गोविंद ने अनेको महान पुरुषो की कहानी पढ़ी थे पर स्वामी विवेकानंद की १ ही पुस्तक उसने कहियो बार पढ़ ली थी और उससे गोविंद के मन और मगज में स्वामी विवेकानंद जैसी शक्ति पाने की इच्छा आ गयी और उसके लिए सिर्फ १ ही रास्ता था और वो था ध्यान योग का गोविन्द ध्यान योग से किस प्रकार की शक्ति मिल सकती हे उसके बारे में तो वो बचपन से हे जानता था अब वो 19 साल का हो गया था स्कूल के तरह कॉलेज में भी पढ़ने में वो बहोत अच्छा था और अब वो ध्यान योग में भी ज़्याद...

ek budhe pita ki kahani - एक बूढ़े पिता की कहानी

ek budhe pita ki kahani - एक बूढ़े पिता की कहानी             गिरनार नाम का एक शहर था। गाँव में जय नाम का एक लड़का रहता था उसका जन्म एक गरीब परिवार में हुवा था जय के घर की हालत बिलकुल भी अच्छी नहीं थी उसके पिता गाँव में छोटा मोटा काम करते और माँ गाँव मे लोगो के घर बर्तन माजने जाती थी।             जय अपने माता पिता से काफी नफरत करता था क्युकी वो लोग उसकी एक ख्वाइश भी पूरी नहीं करते थे इस लिए गुस्से में हमेंशा एक बात कहता की वो एक दिन ये घर छोड़ कर चला जायेगा और फिर कभी भी वापस नहीं आएगा। जय के माता पिता को भी दुःख होता था की वो  इच्छा पूरी कर नहीं पा रहे हे पर वो भी क्या करते उनके पास जितने भी पैसे बचते वो घर चलाने में ही निकल जाते थे। जय पढाई में काफ़ी अच्छा था वो एक बार कोई भी पुस्तक पढता फिर उसे वो पढ़ने की ज़रूरत नहीं रहती थी। पर स्कूल की फ़ीस भर ने के भी उसके माता पिता के पास पैसे नहीं थे इस लिए कभी कभी उसकी माँ घर पर ही उसे पढ़ाया करती थी पर उसे पढ़ना लिखना बहोत जल्दी आ गया था। जय का गाँव में एक बहोत अच्छा द...