Asur ke swabhav me hua parivartan आज की कहानी एक राजा और उसके दो बेटे के बारे में हे। इस कहानी से आपको पता चलेगा की rakshas kaisa hota hain aur rakshas gan vale log kaise hote hain सुनद नाम का एक गाँव था वहा सब बहोत खुश रहते थे क्युकी वहा के राजा अच्छे थे वे हर परिस्थिति में अपने राजा होने का कर्तव्य निभाते और इस वजह से प्रजा उनसे बहोत खुश थी प्रजा अपने आप को ख़ुश नसीब मानती थी की उन्हें ऐसा राजा मिला। कुछ साल बाद राजा के वहा २ पुत्र हुवे एक का नाम भरत रखा और दूसरे का नाम विजय रखा। भरत का जन्म देवता के गुण के साथ हुवा जब की विजय का जन्म आसुरी बुद्धि-गुण से हुवा।
विजय हर बार भरत को हानि पोहचाने का प्रयास करता पर भरत बड़ा भाई होने के कारण हर बार उसे माफ़ कर देता विजय भरत से नफ़रत करता था क्युकी राज नियम के अनुसार जो बड़ा भाई हो उसे ही राज्य का राजा बनाया जा सकता हे, इस वजह से बचपन से ही विजय भरत को हानि पोहचाने का प्रयास करता पर वो कभी सफल नहीं होता था। राजा विजय को ले कर बहोत परेशान थे एक और भरत का स्वाभाव देख कर खुश होते और दूसरी और विजय की आसुरी स्वभाव से दुखी हो जाते। राजा को पुत्र के माध्यम से सुःख और दुःख दोनों एक साथ मिले थे। राजा ने बहोत सालो तक कठोर तपस्या की और एक दिन भगवान राजा कि इस तपस्या से ख़ुश हो गये और वरदान मांग ने को कहा। राजा बोले हे प्रभुः भरत और विजय अब बड़े हो गये हे बचपन पे विजय की भरत के प्रति नफरत को मामूली समझता था पर अब विजय की भरत के प्रति नफरत बढ़ती जा रही हे और अब उसकी शक्तिया भी बढ़ गयी हे आप मुझे ऐसा वरदान दो की विजय भरत को कभी भी मार ना सके भगवान ने कहा इस दुनिया में देवता और असुर दोनों का स्थान हे अगर मैने विजय की सारी शक्तिया ले ली तो वो असुरो के साथ अन्याय होगा पर में तुम्हे एक वचन देता हु भरत को इच्छा मृत्यु का वरदान देता हु जब तक वो ना चाहे तब तक यमराज भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते और विजय के पास चाहे जितनी भी शक्ति हो वो कभी भी भरत को मार नहीं पायेगा।
राजा अब थोड़े चिंता मुक्त हो गये थे और दूसरी और विजय भरत हर दिन भरत को मारने की योजना बनाता भरत ये बात जानता था की विजय उससे नफरत करता हे पर वो इस नफरत का कारण नहीं जनता था और तब १ दिन भरत विजय को मिल ने जाता हे और एक बड़े भाई के हिसियत से वो विजय को पूछता हे की बोल भाई तुझे मुजसे क्या चाहिये तू जो भी बोलेगा में तुझे ख़ुशी ख़ुशी दे दूंगा विजय राज्य मांग ने का ये सब से उत्तम अवसर मानता हे और भरत ने कहा अरे भाई तू सिर्फ इस वजह से मूजसे इतने साल तक नफ़रत करता रहा मुझे तो राजा बन ने का ज़रा भी मोह नहीं था में तो बल्कि ये चाहता था की पिता जी तुज्हे ही राजा बनाये। भरत ने विजय को वचन दिया की राजा वही बनेगा, विजय भरत की इस बात से ख़ुश हो गया क्युकी वो जनता था भरत अपने वचन का पालन करने के लिये किसी भी हद तक जा सकता था।अब विजय की भरत से नफ़रत कम होती जा रही थी और असुर की बुद्धि होने के बावजूद भरत के कोमल स्वभाव ने विजय के मन में भरत के लिये प्रेम जाग उठा दोनों भाई अच्छे से रेह ने लगे। राजा को ये सब समज में नहीं आ रहा था ,भरत ने विजय को पूरी तरह बदल दिया। राजा अब वृद्ध हो गये थे राज्य के नये राजा की घोषणा करने का समय आ गया था प्रजा को भी पता था की राजा तो भरत ही बनेगा क्युकी वो सबसे उत्तमं गुण से भरपूर हे और दोनों भाइयो में वो बड़ा भी हे भरत ने विजय को अपने पास बुलाया विजय ने कहा बधाई हो भैया आप राजा बन ने वाले हो विजय को अब राज्य का कोई मोह नहीं था वो चाहता था की राज्य के राजा बड़े भाई भरत ही बने पर भरत ने विजय को राजा बना ने का वचन दिया था।
भरत ने कहा विजय बड़े भाई के होते हुवे छोटे भाई को राज्य कभी भी नहीं मिलेगा विजय भरत की ये बात समज ने का प्रयास करता उसके पहले ही भरत ने अपनी मृत्यु को आंमत्रित कर दिया। और भरत ने अंतिम स्वास में कहा अब तो प्रजा को तुम्हे ही स्वीकार न पड़ेगा। विजय ने कहा भैया मुझे राज्य नहीं चाहिये उसपे सिर्फ आप का अधिकार हे तब भरत ने कहा अब तुम्ही राजा हो एक राजा पे बहोत सारी ज़िम्मेदारिया होती हे तुमने सिर्फ राजा के ऐशो आराम के बारे में ही सोचा पर वास्तव में ऐसा नहीं होता उनपे बहोत सारी ज़िम्मेदारिया होती हे विजय ने कहा भैया में आपको वचन देता हु की राज्य की प्रजा को में अपने परिवार के समान ही प्रेम दूंगा विजय के इस वचन से भरत खुश हो जाता हे और वो अपने प्राण त्याग देता हे। तो इस प्रकार Asur ke swabhav me hua parivartan इस कहानी से हमें एक बात तो पता चलता हे की raksas gan vale log kaise hote hain और हम चाहे तो उनके स्वाभाव में भी परिवर्तन ला सकते हे अगर आप को कहानी पसंद आयी हे तो अपने परिवार और मित्र के साथ भी kahani share करना
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box.