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kahani Purva janam ki (Bhaag 1) कहानी पूर्व जन्म की (भाग १)

              
             आज की मेरी कहानी पूर्व जन्म पर आधारित हे और ये कहानी २ भाग में विभाजित होगी ये कहानी १ माँ और बेटी के बारे में हे माँ और बेटी अकेले रहते थे उनकी घर की परिस्थिति कुछ खास नहीं थी माँ गाँव कुछ छोटा मोटा काम करके घर चलाती और साथ साथ बेटी को पढाती भी थी बेटी को कभी भी ऐसा लग ने नहीं देती की घर की हालत ठीक नहीं हे उसकी हर इच्छा पूरी करती पर बेटी भी सव्भाव की बहोत अच्छी थी माँ की हर बात मानती और फ़िज़ूल खर्चे कभी भी नहीं करती इस लिए घर की हालत ख़राब होने के बावजूद दोनों खुश रेहते 

kahani Purva janam ki (Bhaag 1)


             गीता पढाई में भी बहोत होशियार थी स्कूल में हमेशा उसके अच्छे आंक आते गीता की स्कूल की पढाई अब ख़तम हो गयी थी और अब आगे की पढाई के लिए शहर जाना चाहती थी पर घर की हालत इतनी अच्छी नहीं थी इस लिए शहर जाके पढाई करने का सोच भी नहीं सकती थी स्कूल के अधियापको को गीता की घर की परिस्थिति मालूम थी और वो ये भी जानते थे की दोनों माँ बेटी कभी भी सामने से आकर मदद नहीं मांगेगे इस लिए सभी अधियापको ने सोच समज कर ये निर्णय लिया की हम सभी लोग मिल कर गीता को शहर में पढाई के लिए भेजेगे और गीता का सारा खर्चा आपस में बाट लेंगे सभी लोग मिल कर गीता के घर गये और उनके सामने ये प्रस्ताव रखा पहले तो गीता और उसकी माँ ने इस प्रस्ताव के लिये साफ साफ मना कर दिया पर अधियापको के बहोत समझाने के बाद गीता और उसकी माँ ने ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया पर ये फैसला थोड़ा कठिन भी था क्युकी दोनों माँ बेटी कभी भी एक दूसरे से अलग नहीं हुवे थे पर बेटी के अच्छे भविष्य के लिए माँ ने बेटी को जाने दिया 

                  शहर में आके गीता स्कूल की तरह कॉलेज में भी पढ़ ने में अच्छी थी और कॉलेज के सभी छात्रा गीता की सहाय लेते और गीता भी हमेशा उनकी मदद करती गीता पढ़ने में बहोत होशियार थी तो उसे उसी की  कॉलेज में पढ़ाने की जॉब मिल गयी अब पढ़ने के साथ साथ वो कमाने भी लगी थी और गाँव में उसकी माँ को पैसे भी भेज ने लगीऔर इससे उसकी माँ बहोत खुश थी और थोड़े ही समय में गीता ने शिक्षण जगत में इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लिया की लोगो को वहा तक पहोच ने में सालो लग जाते थे सब कुछ अच्छा चल रहा था पर ऐसा कहा जाता हे की सुख के बाद ही दुःख आता हे और दुःख के बाद सुख और जब तक हम जिवित हे ये चक्र भी चलता ही रहता हे १ दिन गाँव से पत्र आया और गीता को पता चला की गाँव में उसके घर को आग लग ने से उनकी माँ का निधन हो गया हे ये सघमा गीता सहन नहीं कर पाए जिस दिन गीता की माँ की मृत्यु हुई उसी रात गीता को उसकी माँ सपने में आयी और बोला मेरी मोत अकस्मात नहीं थी मुझे मारा गया हे ये बात सुनकर गीता तुंरत ही गाँव जाने के लिए निकल गयी। 

             गीता की माँ ने ऐसा क्यों कहा ?आखिर किस ने गीता की माँ को मारा और क्यों ? कौन हे गीता की माँ की मोत का ज़िम्मेदार इसके बारे में हम कल भाग २ में  जानेगे।

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