जिस भी जगह हमारा आखरी दिन होता हे हमारी आँख से आँसू ज़रूर आते हे क्युकी उस जगह से हमारी काफी यादे जुड़ जाती हे आप ही सोच के देखिये कैसा था आपके स्कूल का आखरी दिन तब दोस्तों के साथ ऐसी बात होती हे की हम दूर भले हो जाये पर फ़ोन के ज़रिये साथ ज़रूर रहेंगे। पर क्या सच में स्कूल की दोस्ती हमारे साथ रहती हे ? बहोत कम ऐसे दोस्त होते हे जिनकी दोस्ती स्कूल के बाद भी रहती हे।
आज की कहानी आपको स्कूल की याद दिला देगी। हम सबका सबसे पहला और मासूम प्यार स्कूल में ही होता हे स्कूल में हुआ पहला प्यार हम कभी भी भूल नहीं सकते। कुछ इसी प्रकार का प्यार यश और पूजा को हो जाता हे। यश और पूजा बचपन से ही साथ पढ़ते और खेलते थे। और कभी कभी तो वो दोनों एक दूसरे के टीचर भी बन जाते थे। यानि अगर पूजा को कुछ समाज नहीं आता तो यश उसे समजा देता और यश को पढाई में कुछ समज नहीं आता तो पूजा उसे समजा देती। एक बार यश किसी बात को लेकर उसके क्लास के कुछ लड़को के साथ लड़ाई करता हे और उसमे यश को काफी चोट भी आयी। यश के हाथ से थोड़ा खून निकल रहा था पूजा को पता चलते ही वो तुरत यश के पास गयी और उसके हाथ पे रुमाल बांधा ताकि खून और न बहे। बाद में पूजा यश को कुछ भी कहे बिना चली गयी। हर रोज़ यश पूजा से बात करने की प्रयास करता पर पूजा यश से कोई भी बात करना नहीं चाहती थी यश ने लड़ाई की उस बात से पूजा उससे बहोत नाराज़ थी। यश हर रोज़ पूजा को मना ने का प्रयास करता था। इस लिए एक दिन यश ने पूजा की सभी नोटबुक के पहले पेज पर सॉरी लिख दिया उसे चॉकलेट भी दी पर पूजा उसे माफ़ नहीं कर रही थी। थोड़े दिन बाद पूजा सामने से यश के पास आयी क्युकी यश के साथ बात किये बिना उसे भी अच्छा लग नहीं रहा था। पूजा ने कहा तुमने उस दिन उन लड़को से लड़ाई क्यों की थी, तब यश बोला थोड़े दिन पहले तुम्हारी गणित और विज्ञान की पुस्तक खो गयी थी ना वो करण ने चुराई थी मुझे गुस्सा आ गया था की इस लिए मेने उन लोगो के साथ लड़ाई की थी में तुम्हे सच्चाई बताना चाहता था पर तुम मुझसे बात ही नहीं कर रही थी।
यश ने कहा कितने दिन से में तुम्हे मना ने की कोशिश कर रहा हु बाद में पूजा ने कहा सॉरी यश मुझे माफ़ कर दो मुझे सचाई नहीं पता थी मुझे पता नहीं था की मेरे लिये तुमने करण के साथ लड़ाई की थी मुझे माफ़ कर दो। यश बोला नहीं.... में तुम्हे माफ़ नहीं करूँगा पूजा बार बार सॉरी बोल रही थी यश ने कहा में तुम्हे एक ही शरत पे माफ़ करूँगा तुम्हे मुझसे वादा करना होगा की तुम कभी भी मुझसे बात करना नहीं छोड़ोगी। पूजा ने कहा ठीक हे में वादा करती हु। बाद में स्कूल के ब्रेक में दोनों साथ खाना खाने बैठ गये तब यश ने कहा की अब तुम्हारी नोटबुक करण के पास से कैसे लेंगे हम उसने उसके घर पर ही नोटबुक छुपा दी होगी पूजा ने कहा अरे ! उसमे क्या हुआ में दूसरी बुक बना लुंगी। यश ने कहा नहीं तुम्हारे साथ में ही तुम्हे नोटबुक पूरी करने में मदद करूँगा। दोनों ज़िद्दी तो थे पर एक दूसरे की बात मनाना उनको बहोत अच्छे से आता था। यश और पूजा का बचपन इस प्रकार गुज़रा अब वो बड़े हो चुके थे दोनों अब १२वी कक्षा में आ गये थे। पूजा के दिल में यश के लिये एक अलग जगह बन चुकी थी पूजा को प्यार हो गया था पर यश पूजा को सिर्फ अच्छी दोस्त समझता था। पूजा ने बहोत बार यश के दिल में भी अपने लिये जगह बनाने का प्रयास किया पर वो हर बार नाकाम हुवी। यश सिर्फ पढाई के बारे में सोचता रहता उसके सपने इतने बड़े थे की उसे पूजा का प्यार दिखाई ही नहीं दिया।
स्कूल का आखरी दिन आ गया। दिन जल्दी से तैयार होके स्कूल चली गयी ताकि वो यश से आखरी बार बात कर सके। पूजा बेसबरी से यश का इंतज़ार कर रही थी पर यश उस दिन स्कूल आया ही नहीं। बाद में कुछ दोस्तों से पता चला की यश तो उसकी आगे की पढाई के लिये अमेरिका चला गया हे। ये जान के पूजा बहोत दुखी हो गयी उसने ऐसा सोचा भी नहीं था की यश स्कूल के आखरी दिन उसे अलविदा कहे बिना ही चला जायेगा। पूजा को दुखी देख कर उसकी सहेलिया उसके पास गयी। उसकी सहेलियाँ ने उसे समझाया की यश तुम्हे एक दोस्त के अलावा और कुछ नहीं समझता था और प्यार में ज़बरदस्ती भी नहीं चलती उसकी सहेलियाँ उसे समझा ही रही थी और पीछे से पूजा को किसी लड़के ने पुकारा। वो लड़का कोई और नहीं पर करण था, करण पूजा के पास गया और कहा में ही हु जिसने तुम्हारी ५ वी कक्षा की नोटबुक चुराई थी पूजा ने कहा हाँ तो अब कोनसी बुक चाहिए अभी बता दो में दे दूंगी करण ने हस कर बोला नहीं नहीं ! में तुम्हारी वो ही दोनों नोटबुक लौटाने आया हु। दोनों नोटबुक देख कर पूजा को यश की याद आ जाती हे की किस प्रकार यश ने सिर्फ १ नोटबुक के लिये करण से लड़ाई की थी। पूजा ने कहा तो तुम इतने साल बाद मुझे नोटबुक लोटा ने क्यों आये हो। करण ने कहा मुझे यश ने कहा था की तुम्हारे पास पूजा की जो नोटबुक हे वो उसे दे देना और उसे कहना की बुक के आखरी पेज को पढ़े।
पूजा ने नोटबुक का आखरी पेज खोला जिसमे यश ने लिखा था की sorry पूजा में अमेरिका जा रहा हु ये तुम्हे बता ने का मौका ही नहीं मिला अमेरिका जाने की बात सबसे पहले में तुम्हे बता न चाहता था पर सब कुछ इतना जल्दी हो गया की मुझे तुमसे बात करने का मौका ही नहीं मिला। में जनता हु की इस मेरे इस प्रकार से चले जाने से तुम बहोत दुखी हो। पर चिंता मत करो में यहाँ जल्द ही मेरी पढाई ख़तम कर के सबसे पहले तुम्हे मिलने आऊंगा और फ़ोन के ज़रिये हम एक दूसरे के संपर्क में रहेंगे पत्र के आखिर में यश ने अपना फ़ोन नंबर भी लिख दिया था पत्र पढ़के पूजा अपना सारा दुःख भूल जाती हे।
तो ये कहानी थी यश और पूजा की हर रिश्ता खून से ही बने ये ज़रूरी रिश्ते ऐसे होते हे जो दिल से बनते हे भावनाओ से बनते हे इसी रिश्ते को दोस्ती कहते हे। पूजा भी समज गयी की उसे अपना प्यार मिले या ना मिले पर वो अपनी दोस्ती नहीं तोड़ेगी।
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