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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

bhoot ko hua pyar - भूत को हुआ प्यार

       एक बार की कहानी हे कंडल नाम के शहर में विजय नाम का एक आदमी रहता था। वो अकेला ही रहता था उसके परिवार या सगा सबंधीयो में कोई नहीं था। विजय ने कभी शादी भी नहीं की क्युकी उसे अब अकेले रह ने की ही आदत हो गयी थी। बचपन से ही उसे न माता पिता का प्यार मिला न भाई बहन का           एक दिन जब वो कुछ सब्जी लेने के लिए बहार जाता हे सब्जी लेकर घर ही जा रहा था और रास्ते में एक कार से उसको टक्कर लग जाती हे और वो बहोत दूर जाके पड़ता हे। वो सड़क पर खून से लत पत्त पड़ा रहा पर बहोत समय तक उसे कोई बचाने नहीं आया। सब लोग ने बस भीड़ जमा कर के रखी थी कोई फ़ोन में वीडियो उतार रहा था तो कोई खड़े खड़े तमाशा देख रहे थे। सब विजय को गेहर के खड़े हो गये। और तभी वहा प्रिया नाम की एक लड़की विजय को मदद करने के लिए आगे आती हे। उसने तुरंत एम्बुलेंस को फ़ोन किया। एम्बुलेंस को आयी की तुंरत ही विजय के साथ एम्बुलेंस में बैठ गयी विजय के शरीर में से काफी खून बह रहा था। इस लिए प्रिया ने अपने दुपट्टा का थोड़ा कटका फाड़ के विजय का खून रोक ने का प्रयास कर रही थी। पर विजय का खून रुक ही नहीं रहा था, विजय अभी भी बेहोश नहीं हुवा थ

Khoon Kisne Kiya - खून किसने किया

      Khoon Kisne Kiya आज की कहानी एक खुनी पर हे शीरमो नाम का एक शहर था वहा एक बहोत बड़ी हस्ती का खून हो जाता हे उस लड़की का नाम  komal patel   था। कोमल का खून होने से पूरा शहर आश्चर्य में पड़ गया था सब के मन में केवल एक ही सवाल था की आखिरकार  कोमल का khoon kisne kiya hain.                        कोमल स्वभाव में काफी गुस्से वाली थी आये दिन वो अपने कर्मचारी को डाटती रहता थी और उनके साथ बुरा बर्ताव करती थी जिस वजह से ऑफिस में कोई भी  कोमल को अच्छा नहीं समजता था। उसके वहा काम कर रहे प्रकाश और विजय तो कभी कभी उसे मारने की भी सोचते थे। एक बार   कोमल ने किसी बात को ले कर विजय पर गुस्सा किया। और विजय ने ऑफिस में ही सब के सामने कोमल को मारने की धमकी दे दी। बाद में बुरे व्यव्हार के कारण विजय को ऑफिस से निकाला दिया जाता हे। विजय ऑफिस का सबसे होनहार एम्प्लोयी था उसके जाने के बाद दूसरे एम्प्लोयी के मन में  कोमल ज़्यादा बुरी बन गयी थी। और एक दिन की बात हे शनिवार का दिन था। सब employee काम करके चले गये पर  कोमल देर रात तक ऑफिस में ही काम करती रही। और कोमल को ऑफिस में अकेला देख के किसी ने उसको मा

Chori kisne ki -चोरी किसने की

        Chori kisne ki    शिगोल नाम का  बहोत ही प्रसिद्ध शहर था और वहा शहर के सबसे बेहतरीन लुटेरे रहते थे। पुरे देश में ज़्यादातर चोरो का ही वास था आप ऐसा कह सकते हो की वो चोरो की दुनिया थी। कुछ लोग चोरी करके पकडे जाते पर शहर में ४ चोर अजय विनय विजय प्रकाश ऐसे थे जिनको आज तक कोई भी पकड़ नहीं पाया था हर बार वो किसी न किसी तरह बच जाते शहर की पोलिस इन ४ लोगो को कभी पकड़ नहीं पायी समय बितता गया पोलिस के ट्रान्सफर होते रहे और शहर में चोरी के केस भी बढ़ ने लगे।          चारो चोरो को अलग अलग बीमारी थी अजय को भूल ने की बिमारी थी ५ घंटे से ज़्यादा वो कुछ भी यद् नहीं रख सकता था विनय को रात में अच्छे से दिखाई नहीं देता विजय को ज़्यादा सुनाई नहीं देता था और प्रकाश को साँस लेने में तकलीफ होती। उनका स्वाथ्य ठीक ना होने के बावजूद वो शहर के सबसे बेहतरीन चोरो में से एक थे। शिगोल शहर अब चोरी के मामले में पुरे विश्व में प्रसिद्ध होता जा रहा था पर उनकी ये चोरी ज़्यादा देर तक नहीं चलने वाली थी क्युकी शहर में अब चोरी रोक ने की सारी ज़िम्मेदारी जय नाम के पुलिस अफसर ने ले ली थी। जय ने बहोत सारे चो

Asur ke swabhav me hua parivartan असुर के स्वाभाव में हुवा परिवर्तन

      Asur ke swabhav me hua parivartan  आज की कहानी एक राजा और उसके दो बेटे के बारे में हे। इस कहानी से आपको पता चलेगा की rakshas kaisa hota hain aur  rakshas gan vale log kaise hote hain  सुनद नाम का एक गाँव था वहा सब बहोत खुश रहते थे क्युकी वहा के राजा अच्छे थे वे हर परिस्थिति में अपने राजा होने का कर्तव्य निभाते और इस वजह से प्रजा उनसे बहोत खुश थी प्रजा अपने आप को ख़ुश नसीब मानती थी की उन्हें ऐसा राजा मिला। कुछ साल बाद राजा के वहा २ पुत्र हुवे एक का नाम भरत रखा और दूसरे का नाम विजय रखा। भरत का जन्म देवता के गुण के साथ हुवा जब की विजय का जन्म आसुरी बुद्धि-गुण से हुवा।            विजय हर बार भरत को हानि पोहचाने का प्रयास करता पर भरत बड़ा भाई होने के कारण हर बार उसे माफ़ कर देता विजय भरत से नफ़रत करता था क्युकी राज नियम के अनुसार जो बड़ा भाई हो उसे ही राज्य का राजा बनाया जा सकता हे, इस वजह से बचपन से ही विजय भरत को हानि पोहचाने का प्रयास करता पर वो कभी सफल नहीं होता था। राजा विजय को ले कर बहोत परेशान थे एक और भरत का स्वाभाव देख कर खुश होते और दूसरी और विजय की आसुरी स्वभाव से दुखी

bhagwan ke bhakt ki kahani -भगवान के भक्त की कहानी

             एक बार की कहानी हे जिमर नाम का भगवान का एक बहोत बड़ा भक्त था। उसने अपना पूरा जीवन भगवान की सेवा पूजा में ही बिताया पहले वो भगवान को भोग चढ़ाता बाद में उनके भोग में जो सामग्री होती उसे ही खाता। कोई भी स्वार्थ के बिना वो भगवान की सेवा करता रहा पर उसके जीवन में हमेशा कोई ना कोई समस्या आती रहती थी। भगवान का इतना बड़ा भक्त होने के बावजूद उसके साथ जीवन में कुछ अच्छा नहीं हो रहा था।             बचपन में ही जिमर के माता पिता की अकारण मृत्यु हो जाती हे और उनका गाँव में कोई नहीं था जिस वजह से जिमर अकेला ही गाँव में रहता था वो गाँव में ही कुछ छोटा मोटा काम कर के जो पैसे मिलते उससे  अपने भगवान की सेवा पूजा करता। इस प्रकार ही उसका बचपन गुज़रा, गाँव में सब को पता था की जिमर के कोई भी रिश्तेदार नहीं हे और वो गाँव में अकेला रहता हे इस लिए १ दिन लुटेरों ने जिमर के घर चोरी कर ने की सोची, एक दिन जिमर को कुछ काम के लिए थोड़े दिन गाँव से बहार जाना पड़ा और लुटेरों ने ये वक्त चोरी के लिए ठीक समजा और जिनर के घर चोरी कर ने के लिए चले गए चोरो ने जिनर के घर में पैसे की एक कोड़ी भी नहीं मिली जहा द

bimari se pata chali bhutkal ki bhole - बिमारी से पता चली भूतकाल की भूल

               आज की कहानी १ ऐसे इंसान के बारे में जिसके जीवन में हमेशा समस्या आती रहती हे पर आश्रय की बात ये हे की उसके जीवन में पैसो से जुड़ी समस्या कभी भी नहीं आयी थी ,धन सम्पति होने के बावजूद वो हमेशा दुखी रहता था।       कुण्डल नाम के गाँव में १ अजय नाम का इंसान रहता था भगवान की दया से उसके पास किसी चीज़ की कमी नहीं थी धन सम्पति के मामले में कभी उसे परेशानी नहीं आती थी पर उसकी किस्मत इतनी खराब थी की इतने पैसे होने के बावजूद वो हमेशा दुखी रहता था। कभी कभी तो खुद से ही कहता की मुझे पैसे नहीं चाहिए बस मेरी किस्मत अच्छी हो जाये। पर ऐसा कभी भी हुवा नहीं जिसके नसीब में जो होता हे वही उसे मिलता हे। अजय के नसीब में पैसे थे पर शांति नहीं थी।          अजय गाँव में सब से अमीर था ,पर वो कभी भी गाँव वालो की मदद नहीं करता गाँव में सब लोग अजय के पास पैसे की मदद मांग ने आते पर वो कभी भी उनकी मदद नहीं करता अजय को ऐसा लगता था की नसीब की तरह पैसे भी उसका साथ छोड़ देंगे तो वो क्या करेगा इस वजह से वो किसी को पैसे दे कर उनकी मदद नहीं करता। हर दिन अजय के जीवन में कुछ नया होता था , आएदिन वो बीमार

Kaise apne aap ko behtar banaye कैसे अपने आप को बेहतर बनाए ?

         आज में आपको बताऊंगा की अपने खाली समय में अपने आपको व्यस्त कैसे रखें। और अपने आप को दुसरो से ज़्यादा बेहतर कैसे बनाये।  १.  कोई नई भाषा सीखिये                             अगर आप के पास बहोत समय हे जैसे की अभी इस lockdown में आप के पास काफ़ी समय हे और कुछ न करे उससे बेहतर हे की आप एक नहीं भाषा सिख ने का प्रयत्न कीजिये में जानता हु की हम जल्दी से कोई भी नयी भाषा नहीं सिख सकते पर हम अपने इस खाली समय में कुछ सिख ने का प्रयत्न तो अवश्य कर सकते हे। और कुछ नहीं तो आपको नयी भाषा के कोई शब्द तो याद रहेगा वो भी काफी हे और किसी न किसी दिन हमने जो सीखा हे वो काम ज़रुर आता हे। कोई भाषा आप youtube से सिख सकते हे जैसे की बहोत सारे लोगो को इंग्लिश भाषा सिखने का मन होता हे पर वो सिख नहीं पाते पर youtube से बहोत जल्दी आप english भाषा सिख सकते हे।  बस आप को सर्च में लिखना हे learn english . ऐसे ही आप कोई भाषा youtube से बड़ी आसानी से सिख सकते हो।  २. अच्छी सी फ़िल्म देखिये                          फिल्म देख ना तो हर किसी को पसंद होता हे। पर हमें ये नहीं पता की कैसी फिल्म हमें देखन

balak ko mila divya shakti ka gyan - बालक को मिला दिव्य शक्ति का ज्ञान

          १ बार की कहानी हे मिलणा नाम का १ गाँव था वहा शिवोच नाम का १ लड़का रहता था वो पढाई लिखाई में बहोत अच्छा था इतना अच्छा की कोई भी पुस्तक एक बार पढता तो उसे याद रह जाता था मानो साक्षात् सरस्वती देवी का उस पे आशीर्वाद हो शिवोच के घर की हालत कुछ खास नहीं थी उसके माता पिता गाँव में खेडूत थे और उनपे बहोत बड़ा क़र्ज़ था जो वो पूरी ज़िंदगीभर में भी चूका नहीं सकते थे और १ दिन गाँव बहोत बारिश हुवी और सारा अनाज पानी में बेह गया ये सघमा शिवोच के पिता बर्दाश नहीं कर पाए और उनकी दिल के दौरे से उनकी मोत हो गयी थोड़े दिन बाद शिवोच की माता की भी मृत्यु हो जाती हे।      अब शिवोच का गाँव में कोई  नहीं था खाना खाने के लिए और स्कूल की फीस चूका ने के लिए वो गाँव में ही कुछ छोटा मोटा काम करता पर उसे वेतन बहोत ही काम मिलता किसी दिन तो उसे भूखा भी सोना पड़ता था बहोत ही कम आयु में उसे पैसे कमाने की अड़चन आ गयी थी पैसे की कमी की वजह से उसकी पढाई भी छूट गयी और वो जल्दी से ज़्यादा पैसा कमाने के बारे में सोचने लगा। और वो इसी सोच के साथ गलत रास्ते पे निकल गया उसे लग ने लगा की चोरी से आसानी से जल्द और ज़्यादा पैसे कम

Bhavishy se daro mat -भविष्य से डरो मत

        जैसे जैसे टेक्नोलॉजी में परिवर्तन आता हे वैसे ही समय के साथ इंसान के व्यवहार में भी १ चीज़ आने लगती  हे और वो हे डर आज डर किसी भी इंसान में सामन्य माना जाता हे मतलब हर कोई किसी न किसी चीज़ से डरता हे पर १ बार आप ही सोच के देखो की ये दर क्या हे और उसकी शरुवात कहा से हुवी इंसान कितना भी क़ामयाब क्यों न हो जाये पर अगर उसके अंदर किसी बात का डर छुपा हे तब कामियाब होते हुवे भी वो इंसान हमेशा दुखी होता हे।                कोई इंसान को डर रहता हे की भविष्य में उस से कोई आगे नहीं निकल जाये माता पिता को उसके संतान को कुछ हो न जाये उनकी सुरक्षा से जुड़ा डर रहता हे किसी को अपने भविष्य के बारे में चिंता होती हे आसान भाषा में बात करे तो डर कभी भी हकीकत में नहीं होता वो हमेशा भविष्य में होता हे और भविष्य तो अनिश्चित हे हमारी मृत्यु हमारी हाथ में नहीं हे हम भविष्य देख भी नहीं सकते फिर क्यों भविष्य के डर के बारे में हम वर्तमान में सोचते हे। आपको जान कर शायद हैरानगी होगी की किसी डर या चिंता को बार बार रोज़ सोच ने से इंसान का दिल भी धड़कना बंध हो सकता हे उसकी मोत भी हो सकती हे। इस बात को समज ने

bhakt aur bhagwan ki katha -भक्त और भगवान की कथा ।

                 आज की कहानी १ भक्त और भगवान की हे मंडल नाम का एक गाँव था। वहा गोविंद और गुणी नाम के १ दम्पति रेहते थे। वो भगवान श्री कृष्णा के बहोत बड़े भक्त थे संध्या के समय हर रोज़ गोविंद नदी के तट पर जाता और भगवान का ध्यान धरता। गोविंद की पत्नि स्वभाव में बिलकुल उसके जैसा था और उनकी पत्नी का नाम गुणी था। वो अपने पति को ही भगवान मान कर उनकी हर बात मानती और भगवान की सेवा पूजा में भी अपने पति की मदद करती उनसे मिल कर ऐसा लगता जानो कृष्णा भक्त मीरा और श्री राम पत्नी सीता दोनों के ही गुण बराबर मात्रा में थे।              गोविंद कुछ भी काम धंधा नहीं करता था उसने अपना पूरा जीवन भगवान के भरोसे ही छोड़ दिया था गुणी घर में ही भगवान के लिए खिलोने बनाती और बहोत ही कम किम्मत में दुसरो को दे देती। घर में पैसे की बचत करना असंभव जैसा था। गुणी हमेशा अपने पति से कहती की भगवान हर बार तो हमारी मदद कर ने नहीं आ सकते। पर गोविंद एक ही बात बोलता जब इतने साल तक भगवान ने मुझे कोई भी कस्ट नहीं दिया हे तो आगे भी नहीं देंगे तुम बस भगवान पर विश्वास करो।             एक दिन ऐसा आया जब गोविंद के घर में सब अ

kahani Purva janam ki (Bhaag 2) - कहानी पूर्व जन्म की (भाग २ )

         भाग १ में हमने देखा की गीता के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था और १ दिन गीता को गाँव से पत्र आता हे जिसमे लिखा होता हे की आप की माता जी की मृत्यु हो गयी हे गीता अभी इस सघमे से बहार आयी भी नहीं थी और १ बहोत बड़ा सच उसके सामने आया की गीता की माता की मृत्यु अकस्मात में नहीं हुवी थी उनकी हत्या की गयी थी।  अब आगे.....           गीता दूसरे दिन तुंरत ही गाँव जाने के लिये निकल गयी और वो छान बिन कर ने लगी की उसकी माता की मृत्यु सच में अकस्मात था या किसी ने इसे अकस्मात बना ने की साजिश थी गाँव में पडोशीयो से पूछ परछ कर ने लगी और ये बात गीता की माँ के हतियारो को भी पता चल गयी इस लिए हटियाराओ ने गीता को भी मार ने की योजना बनाली १ दिन रात को गीता के घर ३ लुटेरे आते हे ये वही हे जिस ने गीता की माँ को मारा था वो लोग गीता को घेर लेते हे गीता गभरा जाती हे पर जब हथियारों ने कहा की उन्हों ने ही उसकी माँ को मारा हे तो गीता के अंदर उन्से लड़ने की शक्ति आ गयी पर गीता पहेले ये जानना चाहती थी की उन्हों ने उनकी माँ का ख़ून क्यों किया था तब हतियारोने ने कहा की हम जानते हे की पहले तुम्हारे घर की हाल

kahani Purva janam ki (Bhaag 1) कहानी पूर्व जन्म की (भाग १)

                             आज की मेरी कहानी पूर्व जन्म पर आधारित हे और ये कहानी २ भाग में विभाजित होगी ये कहानी १ माँ और बेटी के बारे में हे माँ और बेटी अकेले रहते थे उनकी घर की परिस्थिति कुछ खास नहीं थी माँ गाँव कुछ छोटा मोटा काम करके घर चलाती और साथ साथ बेटी को पढाती भी थी बेटी को कभी भी ऐसा लग ने नहीं देती की घर की हालत ठीक नहीं हे उसकी हर इच्छा पूरी करती पर बेटी भी सव्भाव की बहोत अच्छी थी माँ की हर बात मानती और फ़िज़ूल खर्चे कभी भी नहीं करती इस लिए घर की हालत ख़राब होने के बावजूद दोनों खुश रेहते                गीता पढाई में भी बहोत होशियार थी स्कूल में हमेशा उसके अच्छे आंक आते गीता की स्कूल की पढाई अब ख़तम हो गयी थी और अब आगे की पढाई के लिए शहर जाना चाहती थी पर घर की हालत इतनी अच्छी नहीं थी इस लिए शहर जाके पढाई करने का सोच भी नहीं सकती थी स्कूल के अधियापको को गीता की घर की परिस्थिति मालूम थी और वो ये भी जानते थे की दोनों माँ बेटी कभी भी सामने से आकर मदद नहीं मांगेगे इस लिए सभी अधियापको ने सोच समज कर ये निर्णय लिया की हम सभी लोग मिल कर गीता को शहर में पढाई के लिए भेजेगे और

teen bhaiyo ki kahani - तीन भाइयो की कहानी

                आज की मेरी कहानी तीन भाई की हे 1 का नाम मीत दुसरे का नाम भरत और तीसरे भाई का नाम विजय मीत तीनो में सबसे बडा भाई था दोनों भाई हमेशा उसका आदर सन्मान करते बड़े भाई मीत हमेशा से भगवान श्री कृष्णा का भक्त था बचपन से उनकी सेवा पूजा में ही व्यस्त रहता तीनो भाइयो में विजय सबसे छोटा था तीनो का बचपन बहुत अच्छी तरह से गुज़रा पहला भाई मीत भगवान की सेवा पूजा करने में अवल्ल था दूसरा भाई भरत पढ़ने में बहुत अच्छा था और तीसरा भाई विजय सबसे छोटा था और उसमे दोनों भइओ की थोड़ी थोड़ी आदते  थी पर तीनो के बिच में प्यार की कोई कमी नहीं हर सुख दुःख में तीनो भाई 1 साथ रेहते और इससे उनके माता पिता काफी खुश थे।               1 दिन ऐसा आया तीनो भाईओ के माता पिता की अकारण मृत्यु हो जाती हे तब तीनो भाई बहोत छोटे थे मीत घर में सबसे बड़ा था तो दोनों भाइयो को संभालने के ज़िम्मेदारी मीत पर आ गयी थोड़े दिन घर में कुछ राशन और पैसे थे उसमे तीनो भाई का गुज़ारा होता पर मीत हमेशा खाना कम खाता था ताकि उसके दोनों भाई को भी उसके हिस्से का खाना मिल जाये 1 दिन सब राशन ख़तम हो गया और तीनो भाइयो के स्कूल की fees चुका